बोझ सबके गुनाह का
बोझ सबके गुनाह का उठाकर वो लिये जा रहा है
बोझ सबके गुनाह का उठाकर वो लिये जा रहा है.....
क्या खता थी हमारे मसीह की
जालिमो ने जो उनको सजा दी
ठोक दी उसके हाथों में कीलें
फिर भी येशु ने उनको दुआ दी
बोझ सबके ................
ताज काँटों का सर पे पहनाया
किस बेदर्दी से उसको सताया
कैसे गिर जाता था येशु
क्योंकी खून उसका बहाया
बोझ सबके ................
सूली पे था मसीह बेसहारा
उसकी पसली में जब भला मारा
वो चली थी लहू की जो धारा
है उसी में सभी का कफारा
बोझ सबके गुनाह का उठाकर वो लिये जा रहा है...