इससे पहले कि चला जाऊँ, इस दुनिया से
अनन्त के लिए, कुछ इनाम कमा जाऊँ
दिन बहुत कम रह गये हैं, ज़िन्दगी में मेरी
करना है काम फिर मिलेगा, मौका मुझको नहीं
ऐसा ना हो, गुज़रे दिन, कुछ ना कर पाऊँ
अनन्त के लिए, कुछ इनाम कमा जाऊँ
हर पल नसीब हुआ है, उसकी रहमत है
उसने दिन जोड़े हैं, ज़िन्दगी में, उसका मक़सद है
इससे पहले कि हिसाब हो, सुधर जाऊँ
अनन्त के लिए, कुछ इनाम कमा जाऊँ
मौत ज़िन्दगी की आख़िरी, मंज़िल तो नहीं
मौत के बाद एक और ज़िन्दगी अब्दी
कि अब्दी ज़िन्दगी में, अपने कामों का प्रतिफल पाऊँ
अनन्त के लिए, कुछ इनाम कमा जाऊँ