परमेश्वर शरणस्थान और बल हमारा है
सहायक संकट में जो सहज ही मिलता है
इसलिए कोई दर नहीं है चाहे पृथ्वी उलट जाए
और सरे पर्वत चाहे डोलकर बीच समुन्दर जा पड़े |
चाहे गरजे भी समुद्र, उसका जल जो फेनाए
और उसके विस्तार के कारण सारे पर्वत काँप उठें |
एक नदी की नहरों से परमप्रधान के नगर में
जो है, निवास यहोवा का, उसमें आनंद होता है |
परमेश्वर उसके बीच में है वह न कभी भी टलेगा,
पौ फटते ही प्रभु उसकी नित्ये सहायता करेगा |
जाति-जाति गरज उठें, राज्य, डगमगा उठे
पृथ्वी तक पिघल जाए ईशवर जब भी बोल उठे |
सेनाओं का जो यहोवा संग हमारे है सदा
याकूब का अनंत परमेश्वर गढ़ हमारा है ऊँचा |