उसने कहा मैं प्यासों पर जल बरसाऊँगा,
तेरी मरूभूमी को लहल्लाहाऊँगा,
बारिश उण्डेल छाये बहार, मैं प्यासा खड़ा हूँ तेरे द्वार
1. सारे प्राणियों पर बारिश को उण्डेल,
जन जन में जागृति की बारिश को उण्डेल
2. पुरनियों जवानों पर बारिश का उण्डेल,
सपनों और दर्शनों की बारिश को उण्डेल
3. धारा के किनारे के पेड़ के समान,
धर्मियों को हर समय में फल लाना है