अारास्ता हो, ऐ मेरी जान,
कि बिछा है अब दस्तरख्यान,
जांच अपने को अारास्ता हो
खुदावन्द की जियाफत को |
खुदावन्द मैं हूँ खताकार
और हूँ हर बात में गुनहगार |
मैं बुरे पेड़ की डाली हूँ
और अछे फल से खाली हूँ |
तू अपने कामिल फजल से
अारास्तर्गी को मूझे दे |
बे-रिया गम गुनाहों का
और हक ईमान दे मुंजी का |
खुदावन्द मेरे तू हबीब,
मैं तेरा बन्दा हूँ गरीब ;
मैं भूखा-प्यासा आता हूँ
आसूदा हुआ चाहता हूँ |
मसीह ! निआमत तेरी हैं,
उसी से दिल की सेरी है
अारास्ता हो, एे मेरी जान,
देख बिछा है एक दस्तरख्यान |