यीशु ने कलवरी दुःख क्यों सह लिया,
मुझ पापी में क्या देखा था,
कोई खूबी नहीं,; (2) मुझमें कोई भी खूबी न थी
1. प्रेमियों ने तो छोड़ दिया था, कोई न मेरा था तेरे ही सिवाए
2. पाप में पड़ कर जो उदास हुआ, जीना भी मेरा था मौत की तरह
3. पांव से न मैं तेरी राह चला, हाथ से मैंने न तेरी ही सेवा की
4. नयन से मैंने पाप किया था, जीभ से मैंने न तेरी महिमा की
5. प्रेम की सन्ती क्या मैं देऊँ, सोच सोच मैं उसके पांव पर गिरू