मुझमें; (2) शुद्ध मन उत्पन्न करो प्रभ़ु़,
मुझमें; (2) नई आत्मा डालो प्रभु़,
अपनी हुजूरी से मुझको तू न निकाल,
अपने पवित्र आत्मा को, मुझसे अलग न कर,
उद्धार का आनंद मुझको तू लौटा दे
1. अपने अपराधों को जानता हूँ, जौ मैने किये हैं, तेरे ही विरोध में प्रभु मैंने पाप किये है,
अपनी बड़ी दया से, मुझको तू माफ कर दे,
उद्धार का आनंद मुझको तू लौटा दें
2. तुझसे कुछ भी मैं छिपा नहीं सकता हूँ,
सब कुछ तेरे सामने खुला और बेपरर्दी है,
अपने पाक लहू से मुझको तू साफ कर दे,
उद्धार का आनंद मुझको तू लौटा दे