कहाँ मैं जाऊँ, जब हूँ मैं निराश, कहाँ मैं जाऊँ,
जीवन से हतास, कहाँ मैं जाऊँ, जब हूँ मैं निर्बल,
कहाँ मैं जाऊँ, जाऊँगा यीशु के पास
1. पापों के दल दल में, मैं डूबा जाता था,
कोई न जग में मिला, जो मुझे बचा सके,
यीशु पास आया, अपने लहूँ से मुझको आज़ाद किया
2. कोई न समझा मुझे, दोस्तों ने भी छोड़ दिया,
जीवन से थक गया था, चाहता था मौत आ जाए,
यीशु पास आया, उसने मुझको, प्यार से गले लगाया
3. भाइयों और बहनों, न हो कभी तुम निराश,
आपने जीवन को तुम, यीशु के हाथों में दो,
उस पर विश्वास लाओ, जीवन के अन्त तक,
वो ही तुम्हें सम्भलेगा