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1 स्तुति करूँगा, मैं प्यारे मसीहा, हाथ अपने उठा के सदा (2)
2 प्रार्थना करूँगा, मैं प्यारे मसीहा, हाथ अपने उठा के सदा (2)
3 तारीफ करूँगा, मैं प्यारे मसीहा, हाथ अपने उठा के सदा;(2)
4 सेवा करूँगा, मैं प्यारे मसीहा, हाथ अपने उठा के सदा (2)