अक़दस, अक़दस, अक़दस, रब्ब खुदाए क़ादिर,
सुबह हम हैं गाते हम्द तेरी, ऐ माबूद,
अक़दस, अक़दस, अक़दस, ऐ रहीमो-क़ादिर,
वाहिद खुदा में पाक सालुस महमूद।
अक़दस, अक़दस, अक़दस, तेरे तख़्त के सामने,
कुल मुकददसीन हरदम गाते है सना,
कारोबीन और सरफीन सर को हैं झुकाते,
तू था, और है, और रहेगा सदा।
अक़दस, अक़दस, अक़दस, पुर जलालो-अज़मत
गरचि गुनहगार से छिपा है यह जमाल
तू ही सिर्फ है अक़दस, लाशरीक, पुर-रहमत
कुदरत और प्यार और कुद्दुस से बाकमाल।
अक़दस, अक़दस, अक़दस, रब्ब खुदाए क़ादिर
सारी मख़लूक़ात का सिर्फ तू ही है माबूद
अक़दस, अक़दस, अक़दस, ऐ रहिमो-क़ादिर
वाहिद खुदा में पाक सालूस महमूद।