सिर्फ माँगने नहीं सिर्फ लेने ही नहीं,
हम यहाँ पर आए हैं
तेरे हाथ को ही नहीं तेरे चेहरे को ही,
हम निहारने आए हैं
धन्यवाद की भेंट चढ़ाने, स्तुति के गीतों को गाने
उपकारों को याद हम करने चरणों में तेरे हैं आए
तेरी कुव्वत और जलाल से भर दे हमें
यही दुआ हम लाए हैं
तरी हुजूरी की ही ज़रूरत है हमें
और कुछ नहीं हम चाहते हैं