मैं दोड चला आऊँ पास तेरे,
जहाँ से मिलती है मुझको भरपूरी ; (2)
जाऊँ कहाँ हो के तुझसे दूर,
पास तेरे है अनन्त जीवन को स्रोत ; (2)
1. दिल मेरा घमण्ड से भरा, सोचा मैंने सब पा लिया; (2)
तूने मुझे तोड़ दिया, और मैं ये जान गया ; (2)
2. अपनी मर्जी से चलना चाहा तुझसे दूर मैं रहना चाहा(2)
हर मोड़ पर, मैं हार गया और में ये जान गया ; (2)
3. शर्म से मैं टूट गया तुझसे मैं छुपना चाहा ; (2)
फिर भी तूने ढूंढ लिया और मैं ये जान गया ; (2)